Tuesday, August 4, 2009

अशोक के शिलालेख से.

भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता बेहद समृद्ध है. पॉँच हजार साल के इतिहास में वर्तमान के लिए अनेक सबक है. इस दौरान हमारे पूर्वज विभिन्न स्थितियों और समस्यायों से रूबरू हुए. समस्यायों के समाधान पर गंभीर मंथन किया और विभिन्न सिद्धांतों का प्रतिपादन किया. वर्तमान में ऐसी कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान अतीत की धरोहरों में छिपा हुआ है. आर्यावर्त के महानतम सम्राट अशोक के शिलालेखों में अनेक गूढ़ सन्देश छिपे हैं. ये सन्देश ईसा से २३० साल पहले भारत के विभिन्न हिस्सों में पत्थरों पर खुदवाये गए थे. कई मायनो में ये सन्देश दुनिया के आधुनिकतम मानवतावादी विचारधारा से अधिक विकसित है. भारत के अति उदारवादी संविधान पर भी इसका व्यापक प्रभाव है.

पहले बृहद शिलालेख में अशोक ने पशु वध और समारोहों पर होने वाले अनावश्यक खर्च की निंदा की है.

दूसरे शिलालेख में प्राणिमात्र (पशुओं सहित) के लिए हॉस्पिटल खोलने का उल्लेख है. पेयजल और वृक्षारोपन को विशेष प्राथमिकता दी गयी है.

तीसरे शिलालेख में धन को सोच समझकर खर्च करने की नसीहत है. साथ ही बडों के संग आदरपूर्वक,नम्रतापूर्ण व्यवहार करने का सन्देश है.

सातवें शिलालेख में अशोक ने निर्देश दिया है की सभी सम्प्रदायों के लोग सभी स्थानों पर रह सकते हैं. इसमें सह-अस्तित्व की मीठी सुगंध मिलती है .


उस समय जैन, बौद्ध, ब्राह्मण, आजीवक, अक्रियावादी एवं भौतिकवादी मतों के बीच बराबर टकराव होता रहता था. अशोक इन टकरावों से परेशान रहता था. अतः बारहवे शिलालेख में उसने वाक्संयम पर जोर दिया. इसके अनुसार नागरिक एक-दूसरे संप्रदाय के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए. सभी धर्मों के मूल में शांति-और प्रेम का सरस सन्देश छिपा हुआ है. और एक दूसरे के सम्प्रदायों की आलोचना करने से भी बचना चाहिए. इस उपाय के जरिये उसने साम्प्रदायिकता पर नियंत्रण स्थापित किया था.

अशोक ने मृत्युदंड की सजा प्राप्त अपराधी के प्रति भी एक सृजनात्मक दृष्टिकोण रखा. सजा से तीन दिन पहले अपराधी को रिहा कर दिया जाता था. ताकि वह अपने परिजनों से मिल सके. इस दौरान वह अपनी सजा माफ़ करवाने के लिए "रज्जुक" नामक अधिकारी से गुहार लगा सकता था. मृत्युदंड प्राप्त अपराधी के परिजनों को राज्य की और से आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई जाती थी.

4 comments:

  1. अशोक के शिलालेख मानवता के सबसे पुराने नीति कथन है. विडम्बना है कि आजकल सिविल सेवा की तैयारी करने वाले ही इन्हें ढंग से पढ़ते हैं. आपको शुभकामनाएं.

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  2. बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई आपने । आगे इसी तरह अध्ययन कर जानकारियाँ उपलब्ध कराते रहें । अशोक ऐसे ही महान नहीं हो गया । उसके साथ में उसकी दाशZनिक विचार भी थे ।

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  3. आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती’

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  4. ज़रूरी जानकारी, जो सामयिक भी है, आज के संदर्भ में.

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